महाकुंभ 2025: अखाड़ों का इतिहास, जानें कैसे हुई शुरुआत और 4 से कैसे 13
नई फ़िनिश :
महाकुंभ (Mahakumbh 2025) बहुसांख्यिक आबादी की आस्था का प्रतीक और भारत का सबसे बड़ा धार्मिक समागम है। हालांकि महाकुंभ की एक और पहचान भी है और वो पहचान भी रहा है. ये वो क्षेत्र नहीं, जहां कुश्ती या पहलवानी हो। ये वो कलाकार हैं जहां शस्त्र और शास्त्र की शिक्षा दी जाती है, जहां शाही सवारी, रथ, हाथी-घोड़े की सजावट, घंटा-बाजे और करतब का प्रदर्शन होता है। आज जानेंगे इसी हिंदू धर्म के इतिहास पर और जानेंगे कि आखिर इस धर्म की शुरुआत कैसे हुई? इसका रहस्य क्या है? अखाड़ों से लाखों करोड़ लोगों की श्रद्धा क्यों जुड़ी है?
आदि संतान ने की विचारधारा
इन अखाड़ों का इतिहास भी दिलचस्प है. ऐसा माना जाता है कि आदि पूर्वजों ने सबसे पहले बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार पर रोक लगाने के लिए अखाड़ों की स्थापना की थी। कहा जाता है कि जो शास्त्र से नहीं माना जाता, उसे शस्त्र से मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि अखाड़ों का मकसद हिंदू धर्म और संस्कृति को बचाना था। सातवीं पहले जब समाज में धर्म विरोधी शक्तियां सिर उठा रही थीं, तो केवल आध्यात्मिक शक्तियों के माध्यम से ही इन महाकाव्यों का मुकाबला करना काफी नहीं था। सादिकराचार्य ने जोर देकर कहा कि युवा साधु स्टूडियो खुद को आदि बनाते हैं। हथियार बनाने में सफल होने के लिए विरोधी शक्तियों ने लोहा ले लिया।
मठ निर्माण और मठों के लिए मठों को आदि कहा गया। हालाँकि अखाड़ों की स्थापना के बारे में कई तरह की कहानियाँ और दावे भी हैं, लेकिन कहीं भी इस बात का ऐतिहासिक प्रमाण नहीं मिलता है कि आदि अखाड़ों की शुरुआत हुई थी।
शुरुआत में केवल चार प्रमुख ढोल थे, लेकिन बाद में पिछवाड़े में पिछलग्गू बने। बंटवारा हुआ और वर्तमान में 13 प्रमुख कारीगर हैं। इनमें से सात साधु संत संप्रदाय अर्थात शैव परंपरा या शिव के आराधक ये सात सामान हैं।
संत संप्रदाय के सामान
- जूना एरिना
- आवाहन क्षेत्र
- अग्नि क्षेत्र
- निरंजनी एरिना
- महानिर्वाणी क्षेत्र
- आनंद अरविन्द
- अटल एरिना
वैष्णव संप्रदाय के लोग विष्णु को ईश्वर मानते हैं। वैष्णव संप्रदाय के 3 औषधियां हैं।
वैष्णव सम्प्रदाय के 3 वैद्य
- निर्मोही एरिना
- दिगंबर क्षेत्र
- निर्वाण और एरिना
तीन सामान ऐसे हैं जो गुरु नानक देव के पुजारी हैं।
नट सम्प्रदाय के 3 बौद्ध
- बड़ानाथ एरिना
- नयाराष्ट्रीय क्षेत्र
- निर्मल एरिना
कि अस्वयनर क्षेत्र को मानवीयता नहीं
साल 2015-16 में एक नई सेना भर्ती में आया, जिसका नाम रखा गया किन्नर एरिना। हालाँकि अखिल भारतीय एरिना काउंसिल ने इस उत्पाद को निर्धारित नहीं किया है, तब एरिना काउंसिल के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि हुए थे। उन्होंने कहा था कि कोई किन्नरी गुड़िया का मतलब नहीं है। 13 सामान हैं और 13 ही फंसे हैं. उत्तर में किन्नरों के सामान का निर्माण करने वाली लक्ष्मी त्रिपल ने कहा था कि किन्नर शिव की नगरी है और शिव की नगरी में बने सामानों के लिए किसी भी तरह की सलाह लेने की जरूरत नहीं है।
किन्नर की स्थापना 2016 के सिंहस्थ कुंभ से पहले अक्टूबर 2015 में हुई थी। इसी साल अपना इस यंत्र ने मज़हब के कुंभ में अलग शिविर लगाया था। वैसे तो किन्नरों का वजूद ही पुराना है मानव सभ्यता का इतिहास, लेकिन बात जब इस धंधे की हो तो गठन से लेकर अब तक 9 साल हो गए हैं, लेकिन अभी तक इसकी प्रासंगिकता नहीं मिली है।
कैसे होता है अखाड़ों का संचालन
सभी अखाड़ों का प्रबंधन और उनके समूह साझे और मस्जिद को हल करने का काम अखिल भारतीय एरिना काउंसिल करता है, जिसकी स्थापना वर्ष 1954 में हुई थी। सभी 13 अखाड़ों के बीच मतदान से अखाड़ों के अध्यक्ष का चयन होता है। किसी भी चीज़ में महामंडलेश्वर का पद सबसे ऊँचा होता है।
अखाड़ों में महामंडलेश्वर कैसे चुनें
संत समाज में महामंडलेश्वर पद की बड़ी महत्ता बताई गई है। किसी ने भी महामंडलेश्वर बनाने से पहले ये देखा था कि वो किस गुट या मठ से गिरा है। साथ ही जिस जगह से वो वहां जाते हैं वहां समाज कल्याण के कार्य होते हैं या नहीं। यदि आप कोई आचार्य या शास्त्री हैं तो उन्हें भी लाभ मिलेगा और चयन के लिए उपयुक्त होगा। महामंडलेश्वर के चयन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद उन्हें संन्यासी नियुक्त किया जाता है। इन्हें खुद के हाथों से ही खुद का पिंडदान करना होता है। इसके बाद महामंडलेश्वर का पट्टाभिषेक होता है। पूरी प्रक्रिया 13 अखाड़ों के संत-महंत की स्थापना में पूरी होती है। महामंडलेश्वर अपने शिष्य भी बने हुए हैं। कुंभ के शाही स्नान में ये साधु रथ पर सवार होकर आते हैं और वीआईपी यात्रा भी दी जाती है।
अखाड़ों की मस्जिद से भी हो रहा है नाता
ऐसा माना जाता है कि ये साधु और यहां रहने वाले साधु संतों के आश्रम में रहते हैं, लेकिन दूसरी तरफ इन अखाड़ों का संघर्ष और मस्जिद से भी पुराना नाता है। वो महंत नरेंद्र गिरि की मृत्यु हो गई या फिर अखाड़ों के अंदर कोई सांप्रदायिक विवाद हो गया। अखाड़ों के पास हजारों धर्मशालाएं हैं, जिनमें उत्खनन के लिए उपयोग किया जाता है और इसे लेकर अखाड़ों में कई अंदरूनी विवाद हैं। उद्योगों के कई महंत हैं, विपक्ष के विपक्ष और हत्या तक के मूर्तियाँ दर्ज हैं। कई महंत केवल फार्मास्युटिकल तक सीमित नहीं हैं, अब उनकी समकक्ष राजनीति में बढ़ोतरी हो रही है, जो कि साउथ अफ्रीका में भी सीमित नहीं है।
Share this:
#अखड_ #अखडकइतहस #अगनअखड_ #अटलअखड_ #आनदअखडपचयत_ #आवहनअखड_ #कमभ225 #कमभमकमभ #कमभ2025 #जनअखड_ #नरजनअखड_ #महकभ #महकभ2025 #महकभअखड_ #महकभमअखड_ #महनरवणअखड_