सीबीआई निदेशक नियुक्ति: उपराष्ट्रपति धनखड़ ने उठाए CJI की भूमिका पर सवाल, जानें क्या कहा
India News: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सीबीआई निदेशक की नियुक्ति में मुख्य न्यायाधीश (CJI) की भूमिका पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कोच्चि में छात्रों से कहा कि यह संवैधानिक व्यवस्था के खिलाफ है। धनखड़ ने यह भी पूछा कि क्या दुनिया में कहीं और ऐसा होता है। इसके अलावा, उन्होंने एक जज के घर से नकदी बरामदगी पर चिंता जताई। उन्होंने मांग की कि इसकी आपराधिक जांच होनी चाहिए।
CJI की भूमिका पर सवाल
जगदीप धनखड़ ने कहा कि सीबीआई निदेशक जैसे कार्यकारी पद की नियुक्ति में CJI की भागीदारी हैरान करने वाली है। उन्होंने कोच्चि में कानून के छात्रों से पूछा, “क्या यह संविधान के तहत सही है?” धनखड़ ने जोर दिया कि कार्यपालिका का काम कार्यपालिका को ही करना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह व्यवस्था लोकतंत्र के सिद्धांतों के खिलाफ है। उपराष्ट्रपति ने इस नियम पर पुनर्विचार की जरूरत बताई।
नकदी बरामदगी का मुद्दा
उपराष्ट्रपति ने एक जज के सरकारी आवास से भारी मात्रा में नकदी मिलने की घटना पर चिंता जताई। उन्होंने इसे शेक्सपियर के नाटक ‘जूलियस सीज़र’ के ‘इडस ऑफ मार्च’ से जोड़ा। धनखड़ ने कहा कि इस घटना को आपराधिक मामला मानकर तुरंत जांच शुरू होनी चाहिए थी। उन्होंने सवाल उठाया कि यह पैसा कहां से आया और इसका मालिक कौन है। जांच की मांग करते हुए उन्होंने पारदर्शिता पर जोर दिया।
जांच में देरी पर नाराजगी
धनखड़ ने कहा कि 14-15 मार्च को नकदी बरामदगी की बात सामने आई, लेकिन अभी तक कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं हुई। उन्होंने इसे गंभीर चूक बताया। उपराष्ट्रपति ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के 1990 के दशक के एक फैसले ने सरकार के हाथ बांध दिए हैं। फिर भी, उन्होंने जोर दिया कि इतनी बड़ी मात्रा में नकदी की जांच जरूरी है। यह मामला न्यायपालिका की विश्वसनीयता पर सवाल उठाता है।
संवैधानिक संतुलन की चिंता
कोच्चि में नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ एडवांस्ड लीगल स्टडीज़ में धनखड़ ने कहा कि न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधायिका के बीच संतुलन कमजोर हो रहा है। उन्होंने छात्रों से इस मुद्दे पर विचार करने को कहा। उपराष्ट्रपति ने बताया कि सीबीआई निदेशक की नियुक्ति एक हाई-पावर कमेटी करती है, जिसमें प्रधानमंत्री, नेता प्रतिपक्ष और CJI शामिल होते हैं। उन्होंने इस व्यवस्था को लोकतंत्र के लिए अनुचित बताया।
नकदी का स्रोत जानने की मांग
धनखड़ ने नकदी बरामदगी को गंभीर मामला बताया। उन्होंने कहा, “हमें पता लगाना होगा कि यह पैसा दागी है या नहीं।” उपराष्ट्रपति ने सवाल उठाया कि यह नकदी जज के आवास में कैसे पहुंची। उन्होंने मांग की कि इस मामले में प्राथमिकी दर्ज हो और दोषियों को सामने लाया जाए। धनखड़ ने कहा कि ऐसी घटनाएं न्यायपालिका पर जनता के भरोसे को कमजोर करती हैं।
कार्यपालिका की स्वायत्तता पर जोर
उपराष्ट्रपति ने कार्यपालिका की स्वायत्तता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि सीबीआई निदेशक की नियुक्ति में CJI की भूमिका संविधान के सिद्धांतों के खिलाफ है। धनखड़ ने पूछा कि क्या दुनिया के किसी अन्य लोकतंत्र में ऐसा होता है। उन्होंने इस व्यवस्था को बदलने की जरूरत बताई। उपराष्ट्रपति ने छात्रों से संवैधानिक मूल्यों की रक्षा के लिए सक्रिय होने का आह्वान किया।
न्यायपालिका की विश्वसनीयता पर सवाल
धनखड़ ने कहा कि नकदी बरामदगी जैसे मामले न्यायपालिका की विश्वसनीयता को प्रभावित करते हैं। उन्होंने जोर दिया कि हर अपराध की जांच होनी चाहिए। उपराष्ट्रपति ने कहा कि जनता का भरोसा बनाए रखने के लिए पारदर्शिता जरूरी है। उन्होंने इस मामले में तुरंत कार्रवाई की मांग की। धनखड़ ने कहा कि ऐसी घटनाएं लोकतंत्र के लिए खतरा बन सकती हैं।
संवैधानिक व्यवस्था की रक्षा
उपराष्ट्रपति ने छात्रों से संवैधानिक व्यवस्था की रक्षा करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि कार्यपालिका, न्यायपालिका और विधायिका को अपनी-अपनी सीमाओं में काम करना चाहिए। धनखड़ ने CJI की कार्यकारी नियुक्तियों में भूमिका को असंवैधानिक बताया। उन्होंने कहा कि यह व्यवस्था लोकतंत्र की मूल भावना के खिलाफ है। उपराष्ट्रपति ने इस मुद्दे पर गंभीर चर्चा की जरूरत बताई।
#cbiDirector #JagdeepDhankhar